औरत Guest Author08/12/2024037 views बढ़ाती हूँ क़दम फ़ौरन ही पीछे खींच लेती हूँ ये अंदेशा मुझे आगे कभी बढ़ने नहीं देता न-जाने लोग क्या सोचें न-जाने लोग क्या बोलें इसी इक ख़ौफ़ के घेरे में जीती और मरती हूँ मगर कब तक Read more