आत्मनिर्भर

दहेज प्रथा आज भी चुनौती

भारत अपनी आजादी के 75 वर्ष पूर्ण होने पर “आजादी का अमृत महोत्सव” मना रहा है, परंतु 21वीं सदी के आजाद भारत में लड़कियां और उनके माता पिता आज भी दहेज जैसी कुप्रथा से जूझ रहे हैं।

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क्यों बदलते हैं महिलाओं के गौत्र (सरनेम)

मशहूर लेखक शिव कुमार बटालवी ने महिला शक्ति के लिए कहा है : नारी आपे नारायण है, हर मथे ते तीजी अख है, जो कुज किसे महान है रचिया, उस विच नारी दा हथ है। अर्थात हर महान पुरुष या स्त्री की सफलता के पीछे किसी ना किसी महिला का हाथ है।

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