महिला

बदलते परिदृश्य में स्थिर महिलाएं

आज पूरे विश्व को एक ग्लोबल गांव की संज्ञा दी जाने लगी है अर्थात वैश्वीकरण से सारा विश्व आपस में जुड़ गया है, देशों के बीच कोई रुकावटें नहीं रही हैं, सभी देश आपस में व्यापार व अन्य संधियां कर रहे हैं और तो और इस दौर में बांग्लादेश जैसे तीसरी दुनिया के देश भी विश्व मानचित्र पर अपनी उपस्थिति दर्ज करा पाने में सफल हो रहे हैं। परन्तु वैश्वीकरण व विकास के इस दौर में भी पुरुष – महिला के बीच का भेद अभी भी जैसे का तैसा बना हुआ है और ये कम होने की बजाए ज्यादा हो रहा है।

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इंदिरा गांधी का कठिनाइयों भरा सफर

इंदिरा गांधी का जन्म भारत के प्रमुख स्वतंत्रता संग्रामी और प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के घर 19 नवंबर,1917 को हुआ। इनका बचपन राजनीतिक माहौल में गुजरा, जिस वजह से इन्होंने बहुत छोटी उम्र में ही राजनीति में रुचि लेना शुरू कर दिया और अपने प्रभावशाली व्यक्तित्व की बदौलत 1959 में कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष चुनी गई और 1964 में अपने पिता की मृत्यु उपरांत पहली बार संसद (राज्य सभा) में प्रवेश किया और लाल बहादुर शास्त्री के प्रधानमंत्री काल में सूचना और प्रसारण मंत्रालय में कैबिनेट मंत्री बनी।

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सफाई करने वाली महिलाओं की स्थिति

एक अध्ययन के मुताबिक कूड़ा बीनने वालों में 80 फीसदी संख्या महिलाओं की है और ये सब महिलाएं दलित समुदाय से सम्बन्ध रखती है, जैसे कहा जाता है कि सारे दलित तो सफाई कर्मचारी नहीं है परन्तु सभी सफाई कर्मचारी दलित ही है। भारत में कोई महिला या पुरुष अपने काम की वजह से सफाई कर्मचारी नहीं है बल्कि वह अपने जन्म के कारण सफाई कर्मचारी है, भले ही वह ये काम करना चाहती/चाहता हो या नहीं । यहां यह सब जाति और पितृसत्तात्मक सोच के कारण है।

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