समाज

सोलोगैमी, बिंदु और वाइब्रेंट गुजरात

विश्व में गुजरात राज्य एक बार फिर चर्चा में बना हुआ है I हालांकि गुजरात और गुजराती हमेशा से अपने अविश्वसनीय कार्यों और महापुरुषों के व्यक्तित्व के कारण चर्चा में बना रहा है, परंतु इस बार चर्चा का कारण ‘बिंदु’ की ऐतिहासिक शादी है। 9 जून 2022 भारतीय इसिहास में अहम हो गया जब गुजरात की बिंदु नाम की लड़की ने भारत में शादी को लेकर सारी मौजूदा परम्पराओं और अवधारणाओं को तोड़ कर खुद से शादी कर ली।

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बदलते परिदृश्य में स्थिर महिलाएं

आज पूरे विश्व को एक ग्लोबल गांव की संज्ञा दी जाने लगी है अर्थात वैश्वीकरण से सारा विश्व आपस में जुड़ गया है, देशों के बीच कोई रुकावटें नहीं रही हैं, सभी देश आपस में व्यापार व अन्य संधियां कर रहे हैं और तो और इस दौर में बांग्लादेश जैसे तीसरी दुनिया के देश भी विश्व मानचित्र पर अपनी उपस्थिति दर्ज करा पाने में सफल हो रहे हैं। परन्तु वैश्वीकरण व विकास के इस दौर में भी पुरुष – महिला के बीच का भेद अभी भी जैसे का तैसा बना हुआ है और ये कम होने की बजाए ज्यादा हो रहा है।

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महिला शिक्षा में सावित्री बाई फूले का योगदान

सावित्री बाई फुले का जन्म आज ही के दिन (3 जनवरी 1831) में महाराष्ट्र में हुआ था,उनका जन्म उस समय हुआ जब भारत में सभी औरतों के लिए बड़े कड़े नियम थे और उस दौर में बाल विवाह ,सती प्रथा, बालिका भ्रूण हत्या आदि कुरीतियां समाज में उपस्थित थीं। इन सभी में विधवा महिलाओं को स्थिति सबसे नाजुक थी, क्यूंकि बाल विवाह के कारण बहुत बार ऐसा होता था कि जब लड़की 2-3 वर्ष की होती तभी उसके पति का देहांत हो जाता और वो फिर तभी से विधवा हो जाती और सारी उम्र विधवा के रूप में बीताती, विधवाओं को समाज में कोई सम्मान से नहीं देखता था, बेवसी में उनके परिवार वाले ही उन बच्चियों का नाजायज फायदा उठाते, अनेकों बार तो गर्भ पति विधवाओं को आत्महत्या करनी पड़ती या उन्हें ऐसा करने को मजबूर किया जाता।

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