Education

अम्बेडकर के लक्ष्यों में महिला उत्थान सर्वोपरि

विश्व में ज्ञान के स्तम्भ माने जाने वाले भारत रत्न बाबा साहब डॉ. भीम राव अंबेडकर को केवल दलितों के उद्धारक बता कर सर्वसमाज और महिलाओं को उनके जीवनपर्यंत दिए गए योगदान को सीमित किया जाता रहा है। परन्तु यदि हम उनके लिखे लेखों, भाषणों और जीवन में किए गए महान कार्यों और आंदोलनों को देखें तो पाएंगे कि बाबा साहब ने प्रत्येक भारतीय के उत्थान के लिए कार्य किया है और सबसे खास देश की आधी आबादी (महिलाओं) के उत्थान के लिए अनेकों महान कार्य और त्याग किए हैं।

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मुस्लिम महिलाएं और हिजाब

‘हिजाब मुद्दे’ से संबंधित खबरें और उसके साथ जुड़ी राय , वाद-विवाद, समर्थन-आलोचना आदि हम सब के सामने है। किसी भी महत्वपूर्ण मुद्दे का विश्लेषण करते समय तथ्यों और विचारों के बीच अंतर करना हमेशा महत्वपूर्ण होता है। इसी प्रकार हिजाब के मुद्दे पर विचार-विमर्श करते समय, यह आवश्यक है कि हम पाक कुरान शरीफ के सभी पहलुओं को पढ़ें और समझें, मुस्लिम उलेमा और विद्वानों की व्याख्या विवेचना को भी देखें और साथ ही साथ भारतीय संविधान को भी ध्यान में रखें और केवल स्कूल विषय को ही ना देखते हुए, एक व्यापक कैनवास में अधिकारों व चयन के पहलुओं को रखें।

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महिला शिक्षा में सावित्री बाई फूले का योगदान

सावित्री बाई फुले का जन्म आज ही के दिन (3 जनवरी 1831) में महाराष्ट्र में हुआ था,उनका जन्म उस समय हुआ जब भारत में सभी औरतों के लिए बड़े कड़े नियम थे और उस दौर में बाल विवाह ,सती प्रथा, बालिका भ्रूण हत्या आदि कुरीतियां समाज में उपस्थित थीं। इन सभी में विधवा महिलाओं को स्थिति सबसे नाजुक थी, क्यूंकि बाल विवाह के कारण बहुत बार ऐसा होता था कि जब लड़की 2-3 वर्ष की होती तभी उसके पति का देहांत हो जाता और वो फिर तभी से विधवा हो जाती और सारी उम्र विधवा के रूप में बीताती, विधवाओं को समाज में कोई सम्मान से नहीं देखता था, बेवसी में उनके परिवार वाले ही उन बच्चियों का नाजायज फायदा उठाते, अनेकों बार तो गर्भ पति विधवाओं को आत्महत्या करनी पड़ती या उन्हें ऐसा करने को मजबूर किया जाता।

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Deepa Mohanan Controversy: The Open Secret of Caste-Based Discrimination in Indian educational System

The gravity of this matter very recently came to light when the news of the PhD student Deepa Mohanan, made headlines. She is a Dalit student from Kottayam’s Mahatma Gandhi University, who resorted to a 11-day hunger strike to get heard against the discrimination that she faced, both at an individual and institutional level, for over a decade. Her fight did yield results and the Director of the Institute who discriminated against her, was removed.

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लड़कियों के सपने तोड़ती नई शिक्षा नीति 2020

प्रत्येक देश में किसी भी मौजूदा नीति में सुधार या उसके स्थान पर नई नीति तभी लाई जाती है जब संभवतः मौजूदा नीति समकालीन समय में अपने लक्ष्यों को प्राप्त करती प्रतीत नहीं होती। इसी सिलसिले में भारत की केंद्र सरकार ने 34 वर्षों बाद 2020 में नई शिक्षा नीति को लागू किया है।

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The Afghan War

Formed in 1994, the Taliban were made up of former Afghan resistance fighters, known collectively as mujahedeen, who fought the invading Soviet forces in the 1980s. They aimed to impose their interpretation of Islamic law on the country and remove any foreign influence.

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The unfinished skill training of India’s women: Bridging gender-based skill gaps to enhance women’s employment

India’s growing economy needs 103 million skilled workers between 2017-2022. Yet, over 100 million Indian youth (15-29 years) are not in education, employment or training (NEET), of which around 88.5 million are young women. The proportion of working-age women receiving any form of vocational training over the past decade has been increasing from 6.8% in 2011-12 to 6.9% in 2018-19, vs. an increase from 14.6% to 15.7% for men.

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Ambedkar’s Quest For Gender Equality

In 2004, Columbia University released a list of the world’s best top 100 scholars, and the list was topped by Dr. B.R. Ambedkar. He made enormous efforts to make sure that society follows a path of Liberty, Equality, and Fraternity. The same can be witnessed from his various writings and speeches.

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लड़कियों की शिक्षा पर कोरोना का प्रभाव

कोरोना महामारी के चलते जब सारे शैक्षणिक संस्थान बन्द है तब शिक्षा का जो स्वरूप बदला है, वह ना तो हमारे देश के छात्रों और ना ही छात्राओं के लिए अच्छा है, क्योंकि इसमें ना तो परस्पर क्रिया है और ना ही सहभागिता। यूनेस्को (संयुक्त राष्ट्र शैक्षणिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन) के अनुसार भारत में लॉकडाउन के कारण लगभग 32 करोड़ छात्र छात्राओं की पढ़ाई रुकी है, जिसमे लगभग 15.81 करोड़ केवल लड़कियां हैं।

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