human nature

क्या अब भी मानव बदलेगा?

कभी सिसकती बालाओं की,  सुध लेती थी जनता सारी, आज चहकती अबलाओं की,  चिता सजाने की तैयारी।। कब तक ऐसी दशा रहेगी?  कब तक तांडव क्रूर चलेगा?  क्या अब भी…

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