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सोनम वांगचुक की ‘दिल्ली चलो पदयात्रा’ के महत्वपूर्ण पहलू

लद्दाख की मांगों को लेकर पर्यावरणविद सोनम वांगचुक लेह से दिल्ली तक पैदल यात्रा पर निकले हैं। लेह के पहाड़ों से राजधानी नई दिल्ली तक लगभग 1000 किमी की दूरी तय करते हुए, रेमन मैग्सेसे पुरस्कार विजेता ने 75 से अधिक लद्दाख निवासियों के साथ 2 अक्टूबर, 2024 तक दिल्ली पहुंचने का संकल्प लिया है। लाहौल में ‘द वॉम्ब’ के साथ एक साक्षात्कार में जब श्री वांगचुक से रास्ते में आने वाली कठिनाइयों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने उत्तर दिया ‘यह सब मन पर निर्भर करता है’ अर्थात दुर्गम रास्ते की कठिनाई उनके मनोबल को कमज़ोर नहीं कर सकती । “दिल्ली चलो पदयात्रा” के 15वें दिन पर्यावरणविद् सोनम वांगचुक जब पैदल चल रहे थे तो उनके नीले रेनकोट पर मूसलाधार बारिश होने लगी। पारंपरिक हिमाचली टोपी और सफेद दुपट्टा पहने हुए, वह मार्च के दौरान आने वाली कठिनाइयां जैसे बारिश, बर्फबारी, कड़ी सर्दी भी उनके इरादों को कमज़ोर कर पाने में असफल है।

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‘Reclaim The Night’ Protest 2024

Ground protest, sometimes seem to be the only panacea to outright fundamental right violations in India. Expressing outrage against the ghastly Kolkata rape and murder case, men and women, especially women in large numbers hit the streets in Kolkata on the eve of the Independence Day, 2024. While the protests were initially planned to happen in college street and academy areas of Kolkata, it spread across the nation as many other cities stepped in to reclaim the night and highlight the safety issues that women still face in our country. However a small group of people also entered into the RG Kar Medical Hospital and college, vandalizing the hospital property and attracting attention in the news for its violent nature, taking away some of the attention from the otherwise well meaning and very impactful protests on ground.

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“हिजाब”

“हिला रहा है कौन आज बुनियादें
बुलंदतर घरों को सोंचना होगा
शरीफ मछलियाँ डरी डरी सी क्युं है,
सभी समंदरों को सोचना होगा ||

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