sonam wangchuk

“हमारा भाग्य अज्ञात है”- दिल्ली पुलिस की हिरासत में भूख हड़ताल पर जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक

वांगचुक ने पिछले महीने 2 सितंबर को कई लद्दाखी पुरुषों, महिलाओं और वरिष्ठ नागरिकों के साथ लेह से 1000 किलोमीटर की दिल्ली चलो पदयात्रा प्रारम्भ की थी, जो खतरनाक इलाकों और कठोर मौसम की स्थिति को पार करते हुए 2 अक्टूबर गांधी जयंती के दिन राजघाट पर समाप्त होती । किंतु, 30 सितंबर 2024 की देर रात दिल्ली पुलिस ने शांतिपूर्वक यात्रा कर रहे सभी लोगों को हिरासत में ले लिया ताकि उन्हें अपने लोकतांत्रिक अधिकारों का प्रयोग करने से रोका जा सके।

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सोनम वांगचुक की ‘दिल्ली चलो पदयात्रा’ के महत्वपूर्ण पहलू

लद्दाख की मांगों को लेकर पर्यावरणविद सोनम वांगचुक लेह से दिल्ली तक पैदल यात्रा पर निकले हैं। लेह के पहाड़ों से राजधानी नई दिल्ली तक लगभग 1000 किमी की दूरी तय करते हुए, रेमन मैग्सेसे पुरस्कार विजेता ने 75 से अधिक लद्दाख निवासियों के साथ 2 अक्टूबर, 2024 तक दिल्ली पहुंचने का संकल्प लिया है। लाहौल में ‘द वॉम्ब’ के साथ एक साक्षात्कार में जब श्री वांगचुक से रास्ते में आने वाली कठिनाइयों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने उत्तर दिया ‘यह सब मन पर निर्भर करता है’ अर्थात दुर्गम रास्ते की कठिनाई उनके मनोबल को कमज़ोर नहीं कर सकती । “दिल्ली चलो पदयात्रा” के 15वें दिन पर्यावरणविद् सोनम वांगचुक जब पैदल चल रहे थे तो उनके नीले रेनकोट पर मूसलाधार बारिश होने लगी। पारंपरिक हिमाचली टोपी और सफेद दुपट्टा पहने हुए, वह मार्च के दौरान आने वाली कठिनाइयां जैसे बारिश, बर्फबारी, कड़ी सर्दी भी उनके इरादों को कमज़ोर कर पाने में असफल है।

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