women

औरत

बढ़ाती हूँ क़दम
फ़ौरन ही पीछे खींच लेती हूँ
ये अंदेशा मुझे आगे कभी बढ़ने नहीं देता
न-जाने लोग क्या सोचें
न-जाने लोग क्या बोलें
इसी इक ख़ौफ़ के घेरे में जीती और मरती हूँ
मगर कब तक

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महिलाओं को क्यों नहीं आने दिया जाता राजनीति में?

अभी हाल ही में गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चनावों के नतीजे आए और दोनों राज्यों की विधानसभाओं में एक बार फिर से महिलाओं को पुरुषप्रधान समाज ने गायब कर दिया।

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महिला शिक्षा में सावित्री बाई फूले का योगदान

सावित्री बाई फुले का जन्म आज ही के दिन (3 जनवरी 1831) में महाराष्ट्र में हुआ था,उनका जन्म उस समय हुआ जब भारत में सभी औरतों के लिए बड़े कड़े नियम थे और उस दौर में बाल विवाह ,सती प्रथा, बालिका भ्रूण हत्या आदि कुरीतियां समाज में उपस्थित थीं। इन सभी में विधवा महिलाओं को स्थिति सबसे नाजुक थी, क्यूंकि बाल विवाह के कारण बहुत बार ऐसा होता था कि जब लड़की 2-3 वर्ष की होती तभी उसके पति का देहांत हो जाता और वो फिर तभी से विधवा हो जाती और सारी उम्र विधवा के रूप में बीताती, विधवाओं को समाज में कोई सम्मान से नहीं देखता था, बेवसी में उनके परिवार वाले ही उन बच्चियों का नाजायज फायदा उठाते, अनेकों बार तो गर्भ पति विधवाओं को आत्महत्या करनी पड़ती या उन्हें ऐसा करने को मजबूर किया जाता।

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Gender Gap In Judiciary

While we look at the statistics of the dismal number of female judges in India at subordinate judiciary level, High Courts and Supreme Court, we rarely investigate into how the subjective worldview of our own judges with a limited role for women in it, has a deep impact on promoting, and encouraging more women to join judiciary.

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Capitalism & Its Effect On Women

Capitalism is an economic system in which means of production are privately owned and the decisions with respect to production (what, how and when to produce) are largely determined by the forces of the free market that are largely based on profits.

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A Tale of Jogini’s Exploitation

In the 3rd century AD, Kalidasa, one of the greatest writers of ancient India, made a reference to ‘dancing girls’ that were present in the prominent Mahakaal temple in Ujjain, in his work, Meghduta.

“Begemmed their hands, and their jingling navels please, though wearying the chowries and the dances. But shoot your raindrops through the nail marks, soothing, the courtesans will cast you sidelong glances, Their rows in unison as honey bees.”

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Abortion Law in India: Not Quite There Yet

The Medical Termination of Pregnancy (Amendment) Bill, 2020 was approved by the upper house of the parliament and received presidential assent in March, 2021. Some of the amendments brought in by the new Act were hailed by many for further liberalizing access to abortion in India. On the other hand, some leaders of the opposition had voiced concerns, demanding a detailed scrutiny of the Bill by a parliamentary standing committee. The Bill, however, was passed without any further deliberation or amendments.

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सफाई करने वाली महिलाओं की स्थिति

एक अध्ययन के मुताबिक कूड़ा बीनने वालों में 80 फीसदी संख्या महिलाओं की है और ये सब महिलाएं दलित समुदाय से सम्बन्ध रखती है, जैसे कहा जाता है कि सारे दलित तो सफाई कर्मचारी नहीं है परन्तु सभी सफाई कर्मचारी दलित ही है। भारत में कोई महिला या पुरुष अपने काम की वजह से सफाई कर्मचारी नहीं है बल्कि वह अपने जन्म के कारण सफाई कर्मचारी है, भले ही वह ये काम करना चाहती/चाहता हो या नहीं । यहां यह सब जाति और पितृसत्तात्मक सोच के कारण है।

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लड़कियों की शिक्षा पर कोरोना का प्रभाव

कोरोना महामारी के चलते जब सारे शैक्षणिक संस्थान बन्द है तब शिक्षा का जो स्वरूप बदला है, वह ना तो हमारे देश के छात्रों और ना ही छात्राओं के लिए अच्छा है, क्योंकि इसमें ना तो परस्पर क्रिया है और ना ही सहभागिता। यूनेस्को (संयुक्त राष्ट्र शैक्षणिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन) के अनुसार भारत में लॉकडाउन के कारण लगभग 32 करोड़ छात्र छात्राओं की पढ़ाई रुकी है, जिसमे लगभग 15.81 करोड़ केवल लड़कियां हैं।

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